A SECRET WEAPON FOR BAGLAMUKHI SADHNA

A Secret Weapon For baglamukhi sadhna

A Secret Weapon For baglamukhi sadhna

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In Hinduism, Baglamukhi Devi is revered as one of several 10 Mahavidyas and it is considered to get the goddess of information, victory, and ability. Shabar Mantras, on the other hand, certainly are a list of mantras that are derived from area languages of India and they are looked upon as uncomplicated and helpful inside their software.

शिव-भूमि-युत शक्ति-नाद-विन्दु-समन्वितम्।

अर्थात् – विराट् दिशा’ दशों दिशाओं को प्रकाशित करनेवाली, ‘अघोरा’ सुन्दर स्वरूपवाली, ‘विष्णु-पत्नी’ विष्णु की रक्षा करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति, ‘अस्य’ त्रिलोक जगत् की ‘ईशाना’ ईश्वरी तथा ‘सहसः ‘महान् बल को धारण करनेवाली ‘मनोता’ कही जाती है।

विलयानल-सङ्काशां , वीरां वेद-समन्विताम् । विराण्मयीं महा-देवीं, स्तम्भनार्थे भजाम्यहम् ।।

शुद्ध-स्वर्ण-निभां रामां, पीतेन्दु-खण्ड-शेखराम् । पीत-गन्धानुलिप्ताङ्गीं, पीत-रत्न-विभूषणाम् ।।१पीनोन्नत-कुचां स्निग्धां, पीतालाड्गी सुपेशलाम् । त्रि-लोचनां चतुर्हस्तां, गम्भीरां मद-विह्वलाम् ।॥२वज्रारि-रसना-पाश-मुद्गरं दधतीं करैः । महा-व्याघ्रासनां देवीं, सर्व-देव-नमस्कृताम् ।।३

भगवती की सेवा केवल मंत्र जप से ही नही होती है बल्कि उनके नाम का गुणगान करने से भी होती है । जिस प्रकार नारद ऋषि हर पल भगवान विष्णु का नाम जपते थे, उसी प्रकार सुधी साधको को माँ पीताम्बरा का नाम जप हर पल करना चाहिए एवं अन्य लोगो को भी उनके नाम की महिमा के बारे में बताना चाहिए । मैंने अपने जीवन का केवल एक ही उद्देश्य बनाया है कि माँ पीताम्बरा के नाम को हर व्यक्ति तक पहुंचाना हैा आप सब भी यदि माँ की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आज से ही भगवती के एकाक्षरी मंत्र को अपने जीवन में उतार लीजिए एवं माँ के नाम एवं उनकी महिमा का अधिक से अधिक प्रचार करना शुरू कर दीजिए। more info साधको के हितार्थ भगवती के बीज मंत्र की जानकारी यहां दे रहा हूँ, भगवती पीताम्बरा आप सब पर कृपा करें । (चेतावनी – बिना मंत्र दीक्षा के भगवती बगलामुखी के मंत्रों का जप नहीं करना चाहिए।)

हेमाभाङ्ग-रुचि शशाङ्क-मुकुटां स-चम्पक-स्त्रग्-युताम् ।।

४. ॐ ह्लीं श्रीं ईं श्रीमोहिन्यै नमः-वाम-नेत्रे (बाईं आँख में) ।

तन्नः बगला प्रचोदयात् करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अङ्ग-न्यास

पीताम्बर-धरां देवीं, पीत-पुष्पैरलंकृताम् । बिम्बोष्ठीं चारु-वदनां, मदाघूर्णित-लोचनाम् ।।

योगिनी-कोटि-सहितां, पीताहारोप-चञ्चलाम् ।

१७. ॐ ह्लीं श्रीं कं श्रीभगाम्बायै नमः -दक्ष-बाहु-मूले (दाईं काँख अर्थात् दाएँ हाथ व कन्धे के जोड़ में)।

४३. ॐ ह्लीं श्रीं रं श्रीरम्भायै नमः – दक्षांसे (दाँएँ कन्धे में) ।

अग्निर्वै देवानां मनोता तस्मिन् हि तेषां मनांसि ओतानि !

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